साथ ही दिनेश की लाली I
सकुनी चहचहाने लगती,
रंगबिरंगे तितलियाँ,
बनातें हैं पूलों की लड़ियाँ I
बहेती हैं ठन्डी समीर,
और शान्ती लाती है तिमिर I
देखने को मिलते न आज,
कम हो रही है अवनी जाली,
साथ हे दुनियां की हरयाली I
भव के जर हो रही है नुकशान,
इन सब की जिम्मेदार हैं हम,
और बचा भी सकते हैं सिर्फ हम I
we have to measure our planet.
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